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‘कम शुल्क पर आयातित भंडार होने पर भी क्यों बढ़ रही कीमत’, सरकार ने मांगा जवाब

खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में अचानक वृद्धि पर सरकार ने तेल कंपनियों से जवाब मांगा है। सरकार ने इन कंपनियों से पूछा है कि जब कम शुल्क पर आयातित पर्याप्त भंडार है तो फिर कीमतें कैसे बढ़ रही हैं। इसका स्पष्टीकरण दें। साथ ही, कीमतों की स्थिरता सुनिश्चित करें। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा, उद्योग से पूछा गया है कि त्योहारी सीजन में खुदरा कीमतों को स्थिर बनाए रखने के सरकार के निर्देशों के बावजूद दाम क्यों बढ़ रहे हैं। मंत्रालय का दावा है कि कम शुल्क पर आयातित स्टॉक आसानी से 45-50 दिनों तक चलेगा। इसलिए प्रोसेसर को अधिकतम खुदरा कीमतें बढ़ाने से बचना चाहिए। कीमत में बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है जब त्योहारी सीजन करीब है और मांग बढ़ेगी।

30 लाख टन है भंडार
केंद्र के मुताबिक, कम शुल्क पर आयातित खाद्य तेलों का करीब 30 लाख टन भंडार है। यह 45 से 50 दिनों की घरेलू खपत के लिए पर्याप्त है। खाद्य मंत्रालय ने कहा, आयात शुल्क बढ़ाने का निर्णय घरेलू तिलहन किसानों को बढ़ावा देने के सरकार के चल रहे प्रयासों का हिस्सा है।

भंडार की उपलब्धता तक दाम नहीं बढ़ाने का निर्देश
सरकार ने 14 सितंबर से विभिन्न खाद्य तेलों पर मूल सीमा शुल्क में बढ़ोतरी की घोषणा की थी। 17 सितंबर को खाद्य मंत्रालय ने खाद्य तेल संगठनों की बैठक बुलाकर खुदरा कीमतों को स्थिर रखने को कहा था। प्रमुख खाद्य तेल संगठनों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है कि शून्य फीसदी और 12.5 फीसदी मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) पर आयातित खाद्य तेल भंडार की उपलब्धता तक तेल की कीमत नरम रखी जाए।

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