दुनिया में आपने एक से एक दरियादिल लोग देखे होंगे। लेकिन इनके बीच कुछ ऐसे भी हैं, जो कुछ नया करके अपनी छाप छोड़ देते हैं। दुबई में एक रेस्त्रां ऐसा भी है जो बेरोजगार नौजवानों को फ्री खाना खिलाता है। इस रेस्त्रां के बाहर बोर्ड लगा हुआ है कि अगर आप जॉब खोज रहे हैं तो आप हमारे यहां खाना खा सकते हैं। पैसे की चिंता मत कीजिए, जब आपकी जॉब लग जाए तो आप वापस आकर हमारे पैसे चुका सकते हैं। रेस्त्रां ये भी अपील करता है कि बिना पैसे दिए खाना खाने को लेकर शर्मिंदा होने की आवश्यकता नहीं है। आप इसे चैरिटी न समझें, आप हो सके तो बाद में पैसे देने आ सकते हैं।
दुबई के सिलिकोन ओएसिस में द कबाब शॉप (The Kebab Shop) नाम का ये रेस्त्रां चलाने वाले शख्स का नाम कमाल रिजवी है। वह कनाडाई-पाकिस्तानी नागरिक हैं। इसी रेस्त्रां के जरिए वह समाज सेवा का कार्य भी करते हैं।
कमाल कहते हैं कि जब लोगों के हाथ में जॉब नहीं होती, तो उनकी छोटी सी मदद कर मुझे खुशी मिलती है।
एक घटना के बाद ये योजना प्रारम्भ करने का ख्याल आया
इस वस्तु की आरंभ कैसे हुई। इस पर कमाल रिजवी बताते हैं कि ”रेस्त्रां में कुछ लोग लगातार खाना खाने आते थे। ऐसे में उन लोगों से वार्ता भी होती थी। अच्छी जान पहचान हो गई थी।इसी दौरान मैंनें देखा कि उनमें से एक शख्स ने रेस्त्रां में आना बंद कर दिया। जब मैंने उन्हीं में से एक आदमी से पूछा उसने बताया कि उसकी जॉब छूट गई है। अब यहां खाने के लिए उसके पास पैसे नहीं है। ये सुनकर मुझे बुरा लगा। तब मैंने उन्हीं लोगों से बोला कि वह अपने दोस्त को लेकर आएं। उससे कहें कि वह बिना चिंता के खाना खाए। ये कोई चैरिटी नहीं है।वह इसे लोन समझे व जब उसकी जॉब लग जाए तो वह पैसे वापस कर दे।
खलीज टाइम्स की समाचार के मुताबिक, इसके बाद वह शख्स फिर से आने लगा। इस घटना ने ही मुझे इस तरह का कार्य करने की प्रेरणा दी। इससे मुझे यह अनुभव हुआ कि न जाने इसकी तरह कितने लोग मजबूर होंगे। रिजवी ने अपने रेस्टोरेंट के सामने इसके लिए बोर्ड भी लगा रखा है।
कोई दस्तावेज नहीं मांगते
अगर आप ये सोच रहे हैं कि इस रेस्त्रां में मुफ्त में खाना खाने वालों को कोई वजनदार कागजी कार्यवाही करनी पड़ती होगी, तो आप गलत हैं। कमाल रिजवी ने नियम बना रखा है कि जो भी रेस्त्रां में मुफ्त खाना चाहता है उससे कोई कागज या दस्तावेज न मांगे जाएं। रिजवी बताते हैं कि जरूरतमंद लोग रेस्त्रां में एक तरफ बैठ जाते हैं व हम उन्हें बाकी ग्राहकों की तरह खाना खिलाते हैं। उनमें से कई लोग नैपकिन पर धन्यवाद लिखकर टेबल पर छोड़ जाते हैं।
बिना पैसे दिए खाने वालों का नहीं रखते रिकॉर्ड
कमाल रिजवी के इस रेस्त्रां में बिना पैसे दिए खाना खाने वालों का रिकॉर्ड भी नहीं रखा जाता। रिजवी से जब पूछा गया कि लोग हकीकत में पैसे चुकाने आते हैं? उन्होंने बोला कि कुछ लोगों को छोड़कर अधिकतर लोग वापस आते हैं। हम उनसे यही कहते हैं कि आपके मन में जो आए दे दो, क्योंकि हम आपका रिकॉर्ड नहीं रखते। रिजवी का कहना है कि मुझे इस सेवा से बहुत ज्यादा सुकून व खुशी मिलती है। यह मेरे कारोबार पर भी ज्यादा प्रभाव नहीं डालता।