इस साल मौसम जनित बाधाओं के कारण मानसून में बिखराव

पूरे राष्ट्र में बारिश की सौगात देने वाले दक्षिण पश्चिम मानसून को इस वर्ष बादलों के विक्षोभ की बाधाओं का जमकर सामना करना पड़ा. इसकी वजह से मानसून में बिखराव बारिश के असमान वितरण के रूप में देखने को मिला. इस वर्ष दक्षिण पश्चिम मानसून की समग्र रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है.Image result for इस साल मौसम  मानसून में बिखराव

विक्षोभ की बाधाओं के कारण बारिश न केवल छोटे छोटे इलाकों में सिमट कर रह गयी बल्कि मौसम के बदलते मिजाज का गवाह बने इस मानसून में बाढ़, भूस्खलन, चक्रवाती तूफान धूल भरी आंधियों की घटनाओं की भी अधिकता रही.

जून से सितंबर के बीच दक्षिण पश्चिम मानसून की मौसम विभाग द्वारा शुक्रवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष मानसून के दौरान हिंदुस्तान के ऊपर दस बार हवा के कम दबाव का एरिया बना. इनमें से एक एरिया में कम दबाव की अधिकता के कारण चक्रवाती तूफान की स्थिति भी उत्पन्न हुयी. इसका केन्द्र उड़ीसा में रहा.

रिपोर्ट के अनुसार मानसून के दौरान जून में बंगाल की खाड़ी में हवा के कम दबाव का एरिया बनने की एक घटना से आरंभ होकर यह संख्या जुलाई में तीन  अगस्त में चार तक पहुंच गयी. हालांकि मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, मानसून की बेहतरी के लिहाज से हवा के कम दबाव के एरिया की अधिकता बारिश के लिये अनुकूल स्थिति मानी जाती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसकी अधिकता के बावजूद बारिश में कमी दर्ज की गयी है.

रिपोर्ट में मौसम विभाग ने वर्ष 2018 को भी इस श्रेणी में रखते हुये बोला है कि पूरे मानसून के दौरान हवा के कम दबाव का एरिया बनने की दस घटनाओं के बावजूद बारिश की मात्रा सामान्य से नौ फीसदी कम दर्ज की गयी.

मौसम विभाग के एक वैज्ञानिक ने इसका संबंध जलवायु बदलाव से होने से हालांकि इंकार नहीं किया लेकिन मानसून के असमान वितरण को देखते हुये बोला कि इस तथ्य को शोध के आधार पर स्थापित किया जा सकेगा.

इस वर्ष मानसून के दौरान यह भी देखने को मिला कि मौसम संबंधी विक्षोभ की मौजूदगी जिन इलाकों में ज्यादा रही उनमें मानसून का असमान वितरण  बारिश का बिखराब भी उतना ही अधिक दर्ज किया. इसके परिणामस्वरूप एक एरिया में मूसलाधार बारिश होने के साथ पड़ोसी एरिया में बिल्कुल भी बारिश नहीं होने की प्रवृत्ति भी इस मानसून में देखने को मिली.

मानसून के असमान वितरण वाले क्षेत्रों में पूर्वोत्तर के राज्य अरूणाचल प्रदेश, असम, मेघालय भी शामिल हैं, जो बारिश की अधिकता के लिये जाने जाते रहे हैं लेकिन इस वर्ष इन राज्यों में सामान्य से कम बारिश हुई.

कम बारिश वाले क्षेत्रों में शामिल पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, सौराष्ट्र, कच्छ, गुजरात मराठवाड़ा, रायलसीमा, उत्तर भीतरी कर्नाटक,  पश्चिमी राजस्थान में भी मानसून का असमान वितरण दर्ज किया गया.

मौसम के लिहाज से 36 क्षेत्रों में बंटे राष्ट्र के 23 क्षेत्रों में (देश के कुल क्षेत्रफल का 68 प्रतिशत) सामान्य बारिश दर्ज की गयी. दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान सिर्फ एक एरिया में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गयी.

इस एरिया में केरल  पुदुचेरी सहित राष्ट्र का एक फीसदी क्षेत्रफल शामिल है. इसके अतिरिक्त 12 क्षेत्रों में (देश के कुल क्षेत्रफल का 31 प्रतिशत) सामान्य से कम बारिश दर्ज की गयी.