अब प्राइवेट कंपनियां बनाएंगी सेना के लिए हथियार

सेना के लिए हथियार बनाने का जिम्मा अब सरकारी कंपनियों के अतिरिक्त व्यक्तिगत कंपनियों को भी मिलेगा. रक्षा मंत्रालय ने नियमों में बड़ा परिवर्तन करते हुए विदेशी कंपनियों से किए गए हथियारों की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में व्यक्तिगत कंपनियों को चुनने की आजादी उसके पास रहेगी. अभी तक ऐसे मामलों में सरकारी कंपनियां ही भागीदार बनती थीं.

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निजी कंपनियों को मिल सकेगा कांट्रैक्ट

इकोनॉमिक टाइम्स की समाचार के मुताबिक इन नियमों में परिवर्तन से सबसे ज्यादा नुकसान सरकारी कंपनियों जैसे कि एचएएल, बीईएल  बीडीएल को नुकसान होगा. पहले विदेशी कंपनियां केवल इन्हीं सरकारी कंपनियों के साथ टाइअप कर सकती थीं.

हो सकेंगी राफेल जैसी डील

नियमों में परिवर्तन के बाद अब व्यक्तिगत इंडियन कंपनियां भी विदेशी कंपनियों के साथ राफेल जैसी डील कर सकती हैं. हाल ही राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसाल्ट एविएशन ने रिलायंस डिफेंस के साथ करार किया है. हालांकि इस डील को लेकर के कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार गवर्नमेंट पर हमले कर रहे हैं.

यह कंपनियां बन सकती हैं भागीदार

रक्षा मंत्रालय ने इन नियमों को 27 सितंबर को लागू कर दिया था. इन नियमों में जो शर्ते तय की गई हैं उनमें कंपनी का संचालन इंडियन नागरिकों के पास होना चाहिए. इसके साथ उनको हथियार बनाने का कम से कम दो वर्ष का अनुभव भी होना चाहिए.

कंपनियों पर पहले से किसी तरह की रोक नहीं लगी हो. इसके साथ ही ऐसी कंपनियों का टर्नओवर प्रोजेक्ट की लागत का कम से कम 10 प्रतिशत होना चाहिए. इन कंपनियों के पास उस हथियार को बनाने का पहले से लाइसेंस भी होना चाहिए. इसके अतिरिक्त कंपनी की नेटवर्थ प्रोजेक्ट लागत का 5 प्रतिशत होना चाहिए.

अभी भी संशय बरकरार

हालांकि इन नियमों के आने के बाद भी संशय बना हुआ है कि इसका प्रभाव नए प्रोजेक्ट पर पड़ेगा या फिर पुराने प्रोजेक्ट भी इन नए नियमों की जद में आएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि रक्षा मंत्रालय अभी भी सेना के लिए कई बड़ी डील पर वार्ता कर रही है. इंडस्ट्री एक्सपर्ट का मानना है कि फिल्हाल छोटे हथियारों की होने वाली डील में इन नए नियमों को लागू किया जा सकता है.

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