बड़े सियासी मुद्दों पर हुए आम चुनावों में दिल्लीवासियों ने हमेशा से किया बढ़कर वोट

बड़े सियासी मुद्दों पर हुए आम चुनावों में दिल्लीवासियों ने हमेशा से बढ़ चढ़कर वोट किया है। जिस भी आम चुनाव में राष्ट्रीय स्तर का मसला गरमाया, दिल्ली में मत प्रतिशत में इजाफा हुआ है।

बात चाहे 1971 में हुए चुनाव की हो या आपात काल के बाद 1977 का चुनाव। जानकारों का मानना है कि जिस तरह इस बार का चुनाव महौल राष्ट्रीय सुरक्षा के इर्दगिर्द सिमटता जा रहा है, उससे वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोत्तरी हो सकती है।

दिल्ली लोकसभा संसदीय क्षेत्र के चुनाव में कई मौके ऐसे रहे, जब मतदान प्रतिशत काफी बढ़ा। अभी तक का सबसे ज्यादा मतदान 5वीं लोकसभा के चुुनाव में हुआ है। भारत-पाक युद्ध के बाद हुए 1971 के चुनाव में सबसे ज्यादा 75.08 फीसदी वोट पड़े थे।

चुनावी सियासत पर नजर रखने वाले जानकार बताते हैं कि पाक विजय के बाद दिल्लीवासी तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व को वोट करने के लिए निकले थे।

छठीं लोकसभा के लिए 1977 में भी दिल्ली का वोट प्रतिशत औसत से ज्यादा रहा। आपात काल की प्रतिक्रिया स्वरूप लोगों ने इस चुनाव में वोट देकर अपने गुस्से का इजहार किया था। इस चुनाव में 71.05 प्रतिशत वोटिंग हुई थी।

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भी दिल्लीवासी पोलिंग स्टेशन पर पहुंचकर अपने राय जाहिर की। इससे मतदान प्रतिशत 64.5 प्रतिशत था। 1962 और 1967 में भी मत प्रतिशत 70के आसपास मतदान हुआ था।

1952-57 .09 प्रतिशत
1957-57 .08 प्रतिशत
1962-68 .08 प्रतिशत
1967-69 .05 प्रतिशत
1971-75 .08 प्रतिशत
1977-71 .05 प्रतिशत
1989-54 .05 प्रतिशत
1980-64 .09 प्रतिशत
1984-64 .05 प्रतिशत
1991-48 .52 प्रतिशत
1996-50 .62 प्रतिशत
1998-51 .29 प्रतिशत
2009-51 .79 प्रतिशत
2014- 64 प्रतिशत