पाक के SC ने ईसाई महिला आसिया बीबी को ईशनिंदा के एक मामले में कर दिया बरी

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने ईसाई महिला आसिया बीबी को ईशनिंदा के एक मामले में बरी कर दिया है. निचली अदालत और फिर हाई कोर्ट ने इस मामले में आसिया बीबी को मौत की सज़ा सुनाई थी. उसी सज़ा के ख़िलाफ़ अपील की सुनवाई करते हुए अदालत ने आसिया बीबी को अब बरी कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बैंच ने आठ अक्तूबर को इस मामले में फ़ैसला सुरक्षित रखा था. फ़ैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस मियां साक़िब निसार ने कहा कि वो हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट के फ़ैसलों को रद्द करते हैं.

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उन्होंने कहा कि “उनकी सज़ा वाले फ़ैसले को नामंजूर किया जाता है. अगर अन्य किसी मामले में उनपर मुक़दमा नहीं है तो उन्हें तुरंत रिहा किया जाये.”

आसिया बीबी की रिहाई का विस्तृत फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आसिफ़ सईद खोसा ने लिखा है.

उन्होंने शुरुआत में तो ये बात कही कि पैग़ंबर मोहम्मद या क़ुरान का अपमान करने की सज़ा मौत या उम्र क़ैद है. लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि इस जुर्म का ग़लत और झूठा इल्ज़ाम अकसर लगाया जाता है.

अदालत ने मशाल खान और अयूब मसीह केस का हवाला देते हुए कहा कि पिछले 28 वर्षों में 62 अभियुक्तों को अदालत का फ़ैसला आने से पहले ही क़त्ल कर दिया गया.

कई शहरों में विरोध प्रदर्शन

अदालत के फ़ैसले के बाद पाकिस्तान के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.

बीबीसी संवाददाता शहज़ाद मलिक ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने फ़ैज़ाबाद और इस्लामाबाद को जोड़ने वाले हाइवे को बंद कर दिया है.

अलग-अलग मस्जिदों से ऐलान किया जा रहा कि लोग सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपने घरों से निकलें और इस फ़ैसले का खुलकर विरोध करें.

कराची में बीबीसी संवाददाता रियाज़ सोहैल ने बताया कि शहर के कई इलाक़ों में डंडा लिए लोग सड़कों पर निकल आये हैं. लोगों ने शहर में कई जगहों पर ट्रैफ़िक जाम कर दिया है.

उधर तहरीक़ लब्बैक पाकिस्तान का कहना है कि कराची में आधा दर्जन इलाक़ों में धरना प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. शहर के कई बड़े बाज़ार बंद कर दिए गए हैं.

तहरीक़ लब्बैक पाकिस्तान ने पूरे पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है. लाहौर की मॉल रोड पर उनके समर्थक भारी संख्या में जमा हो गए हैं.

आसिया बीबी के ख़िलाफ़ शिकायतकर्ताओं की क़ानूनी टीम की एक सदस्य वकील ताहिरा शाहीन ने कहा कि उन्हें पहले से ही इस तरह के फ़ैसले की उम्मीद थी क्योंकि उनके मुताबिक़ सुप्रीम कोर्ट के जज ख़ुद क़ैदी हैं.

सोशल मीडिया पर भी इस मामले में बिल्कुल एक दूसरे के विरोधी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं.

एक तरफ़ लोग इसे क़ानून और इंसाफ़ की जीत क़रार दे रहे हैं तो दूसरी तरफ़ धमकी भरे बयान आ रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के जजों के ख़िलाफ़ अपशब्द कहे जा रहे हैं.

क्या है मामला

आसिया बीबी के ऊपर एक मुस्लिम महिला के साथ बातचीत के दौरान पैग़ंबर मोहम्मद के बारे आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है.

हालांकि पैग़ंबर मोहम्मद के अपमान के आरोप का आसिया बीबी पुरजोर खंडन करती रही हैं.

पाकिस्तान में ईशनिंदा एक बहुत संवेदनशील विषय रहा है. आलोचकों का कहना है कि इस क़ानून का ग़लत इस्तेमाल कर अक्सर अल्पसंख्यकों को फंसाया जाता है.

ये पूरा मामला 14 जून, 2009 का है जब एक दिन आसिया नूरीन अपने घर के पास फालसे के बगीचे में दूसरी महिलाओं के साथ काम करने पहुँची तो वहाँ उनका झगड़ा साथ काम करने वाली महिलाओं के साथ हुआ.

आसिया ने अपनी किताब में इस घटना को सिलसिलेवार ढंग से बयां किया है.

ईशनिंदा के आरोप में आसिया बीबी को सुप्रीम कोर्ट ने बरी किया

अंग्रेजी वेबसाइट न्यूयॉर्क पोस्ट में छपे इस किताब के हिस्से में आसिया लिखती हैं कि “मैं आसिया बीबी हूँ जिसे प्यास लगने की वजह से मौत की सज़ा दी गई है. मैं जेल में हूँ क्योंकि मैंने उसी कप से पानी पिया जिससे मुस्लिम महिलाएं पानी पीती थीं. क्योंकि एक ईसाई महिला के हाथ से दिया हुआ पानी पीना मेरे साथ काम करने वाली महिलाओं के मुताबिक़ ग़लत है.”

14 जून की घटना के बारे में बताते हुए आसिया लिखती हैं कि “मुझे आज भी 14 जून, 2009 की तारीख याद है. इस तारीख़ से जुड़ी हर चीज़ याद है. मैं उस दिन फालसा बटोरने के लिए गई थी. मैं झाड़ियों से निकलकर पास ही में बने हुए एक कुएं के पास पहुंची और कुएं में बाल्टी डालकर पानी निकाल लिया. इसके बाद मैंने कुएं पर रखे हुए एक गिलास को बाल्टी में डालकर पानी पिया. लेकिन जब मैंने एक महिला को देखा जिसकी हालत मेरी जैसी थी तो मैंने उसे भी पानी निकालकर दिया. तभी एक महिला ने चिल्लाकर कहा कि ये पानी मत पियो क्योंकि ‘ये हराम है’ क्योंकि एक ईसाई महिला ने इसे अशुद्ध कर दिया है.”

आसिया लिखती हैं, “मैंने इसके जवाब में कहा कि मुझे लगता है कि ईसा मसीह इस काम को पैग़ंबर मोहम्मद से अलग नज़र से देखेंगे. इसके बाद उन्होंने कहा कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, पैग़ंबर मोहम्मद के बारे में कुछ बोलने की. मुझे ये भी कहा गया कि अगर तुम इस पाप से मुक्ति चाहती हो तो तुम्हें इस्लाम स्वीकार करना होगा.”

“मुझे ये सुनकर बहुत बुरा लगा क्योंकि मुझे अपने धर्म पर विश्वास है. इसके बाद मैंने कहा- मैं धर्म परिवर्तन नहीं करूंगी क्योंकि मुझे ईसाई धर्म पर भरोसा है. ईसा मसीह ने मानवता के लिए सलीब पर अपनी जान दी. आपके पैग़ंबर मोहम्मद ने मानवता के लिए क्या किया है?”

सज़ा सुनाते वक्त इस्लामाबाद में अदालत के बाहर और शहर भर में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त थे. मंगलवार रात से ही शहर में हाई एलर्ट जारी है और पुलिस के अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं.