अपने ही आश्रम की नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप में राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल कारागार में सजा काट रहे आसाराम की तरफ से जिला पैरोल कमेटी के समक्ष पैरोल के लिए आवेदन किया गया है। आसाराम के भांजे रमेश की तरफ इस विषय में जिला पैरोल कमेटी के समक्ष आवेदन पेश कर आसाराम के लिए बीस दिन की पैरोल मांगी है।अंतिम सांस तक की सजा के इस मामले में स्पष्ट दिशा-निर्देश के लिए कारागार प्रशासन ने मुख्यालय से मार्गदर्शन मांगा है।
अर्जी में बोला गया है कि 25 अप्रैल 2018 को आसाराम को आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है। आसाराम ट्रायल के दौरान व अब तक पांच वर्ष की सजा काट चुका है। ऐसे में कारागार के पैरोल नियमों के मुताबिक, आसाराम को प्रथम पैरोल दी जा सकती है। इसलिए आसाराम की प्रथम बीस दिन की पैरोल मंजूर की जाए। इसके लिए सेंट्रल कारागार के जरिए जिला पैरोल कमेटी के समक्ष आवेदन किया गया है। अब जिला पैरोल कमेटी तय करेगी कि आसाराम को पैरोल दी जाये या फिर नहीं।
उल्लेखनीय है कि निचली न्यायालय ने इस मामले में आसाराम को दोषी करार देते हुए मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया था। आपकी जानकारी के लिए बताते चलेंइससे पहले आसाराम ने कारागार प्रशासन के जरिए भी पैरोल कमेटी में आवेदन की प्रक्रिया प्रारम्भ की थी, लेकिन कारागार मुख्यालय से इस विषय में स्पष्ट आदेश के अभाव में आसाराम का आवेदन फिल्हाल जिला पैरोल कमेटी को प्रेषित नहीं किया जा सका है। उल्लेखनीय है कि हाल में आसाराम को न्यायालय से छोटी राहत मिली थी। न्यायालय ने आईटी एक्ट के एक मामले में आसाराम की जमानत मंजूर की थी।
आपको बता दें कि आसाराम को एससी एसटी न्यायालय के तत्कालीन पीठासीन ऑफिसर मधुसूदन शर्मा की न्यायालय ने 25 अप्रैल 2018 को यौन उत्पीड़न के आरोप में दोषी मानते हुए आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। तब से आसाराम जोधपुर सेंट्रल कारागार में कैदी नंबर 130 के रूप में सजा काट रहा है। आसाराम लगभग पांच वर्षएक महीने से जोधपुर सेंट्रल कारागार में बंद है। जोधपुर पुलिस ने आसाराम को इंदौर आश्रम से 31 अगस्त 2013 को अरैस्ट कर 1 सितम्बर 2013 को जोधपुर लाई थी।