आपने कई बार ‘पल में तोला,पल में माशा’ वाली कहावत जरूर सुनी होगी। आमतौर पर महिलाओं के लिए कही जाने वाली इस कहावत का इशारा उनके बार-बार बदलने वाले मूड की ओर किया जाता है,क्योंकि महिलाओं में मूड स्विंग्स की समस्या होना एक आम बात है।
मूड स्विंग्स को मूड डिस्ऑर्डर के नाम से भी जाना जाता है, जबकि इसके गंभीर रूप लेने पर पीड़ित व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार बन जाता है। दरअसल ये समस्या उनके शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंजेज की वजह से होते हैं।
आपको बता दें कि मूड स्विंग्स की समस्या अगर लंबे समय तक बनी रहती है, तो ये शरीर के साथ ही पीड़ित व्यक्ति को मानसिक रूप या भावानात्मक रूप से भी बीमार बना देती है। जिसका असर पीड़ित व्यक्ति से जुड़े रिश्तों पर भी साफ तौर पर भी देखा जा सकता है।
आपको इस समस्या का सामना न करना पड़े, इसलिए आज हम आपको महिलाओं में होने वाले मूड स्विंग्स के कारण, लक्षण और उपचार बता रहे हैं।
मूड स्विंग्स के लक्षण :
1.भावनात्मक लक्षण
मूड स्विंग्स से पीड़ित व्यक्ति में ये भावनात्मक लक्षण साफ तौर पर देखे जा सकते हैं,जैसे आत्महत्या के विचार और प्रयास,अतीत में सुखद गतिविधियों में खोए रहना,चिंता,उदासी या खालीपन की भावनाओं का होना,बेकारता, असहायता या अपराध की भावनाएं,निराशा की भावनाएं होना, चिड़चिड़ापन और बेचैनी।
2. शारीरिक लक्षण
भावनात्मक लक्षणों की तरह ही मूड स्विंग्स के शारीरिक लक्षण भी पीड़ित व्यक्ति में देखे जा सकते हैं, लेकिन कई बार हम इसे शारीरिक कमजोरी समझ लेने की गलती करते हैं…शरीर में थकान,सुस्ती,आलस,सिरदर्द,शरीर में दर्द,ऐंठन या पाचन समस्याएं, इसके साथ ही निर्णय लेने की क्षमता में कमी होना, भूख कम लगना, नींद का कम होना या ज्यादा आना।
मूड स्विंग्स के कारण :
1. आसपास का माहौल और वातावरण
2. मनोवैज्ञानिक आघात का होना
3. अनुवांशिक कारण
मूड स्विंग्स के उपचार :
1. अच्छे और खुशनुमा माहौल में रहने की कोशिश करना।
2. अपने आपको किसी न किसी काम में व्यस्त रखना।
3. मूड स्विंग्स के बढ़ने पर कांउसलर की सलाह लेना।
4. अपनी बातों और फीलिंग्स को किसी करीबी के साथ शेयक करना।
5. डॉक्टर की सलाह पर दवा लेना।
6. मेडिटेशन और प्राणायाम को दैनिक जीवन में अपनाना।
7. संगीत सुनना।