इस बयान से हुआ साफ़ की पाकिस्‍तान अप्रत्‍यक्ष रूप से खालिस्‍तान आतंकियों के समर्थन में

पाकिस्‍तान दिखावे के लिए भले ही आतंक के विरुद्ध और शांति की बात करता हो, लेकिन हर बार उसका दोहरा चरित्र सामने आ ही जाता है. करतारपुर गलियारे को लेकर भी उसका ऐसा ही रुख है.

करतारपुर कोरिडोर पर पाकिस्‍तान से चल रही बातचीत के बीच पाक पीएम इमरान खान के खास और रेल मंत्री शेख रशीद अहमद ने एक विवादित बयान देते हुए कहा है कि करतारपुर कॉरिडोर में सिख तीर्थयात्रियों के लिए बनाए जाने वाले ट्रेन स्टेशन का नाम ‘खालिस्तान स्टेशन’ रखा जाना चाहिए. उनके इस बयान से साफ है कि पाकिस्‍तान अप्रत्‍यक्ष रूप से खालिस्‍तान आतंकियों के समर्थन में है.

पाकिस्‍तान के रेल मंत्री शेख राशिद अहमद ने एक टीवी चैनल पर दिए गए एक इंटरव्यू के दौरान करतारपुर कॉरिडोर मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि करतारपुर का नाम खालिस्तान होना चाहिए. पाक रेल मंत्री शेख राशिद अहमद ने कहा कि ‘करतारपुर का नाम खालिस्तान स्टेशन रख देना चाहिए. मैं पुराना शेख राशिद होता तो उसका नाम खालिस्तान स्टेशन रख देता उसका नाम. अब मैं जिम्मेदार हूं इसलिए इस पर मैं विदेश मंत्रालय से बात करुंगा.’

समाचार एजेंसी आईएएनएस ने भी सूत्रों के हवाले से कहा है कि इस मुद्दे पर भारत पाकिस्तान को बताएगा कि भारत विरोधी तत्वों द्वारा अलगाववादी प्रचार के लिए तीर्थ स्थानों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.

अहमद का यह विवादित बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों मुल्‍कों के संबंधों में बढ़े तनाव के बीच पाकिस्तान के करतारपुर शहर में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर शहर से जोड़ने वाले गलियारे को जल्द शुरू करने पर भारत और पाकिस्तान सहमति जता रहे हैं.

बीते गुरुवार को गलियारे को बनाने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के उद्देश्य से भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच अटारी-वाघा सीमा पर भारत के क्षेत्र में बैठक हुई. हालांकि पाकिस्‍तान इस मुद्दे पर भी कई अडंगे लगा रहा है, क्‍योंकि वह करतारपुर के ऐतिहासिक सिख धर्मस्थल की यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या सीमित करने की कोशिश में है.

दरअसल, भारत ने दोनों देशों के अधिकारियों की बैठक के दौरान रोजाना 5000 तीर्थयात्रियों को बिना वीजा के पाकिस्तान में करतारपुर साहिब गुरुद्वारा जाने देने की मांग की थी, लेकिन इसके बाद पाकिस्‍तान की तरफ से आए एक बयान में कहा गया कि, ”पाकिस्तान अब प्रस्तावित गलियारा सुविधा पर कई बंदिशें लगाने का प्रयास कर रहा है, जिनमें तीर्थयात्रियों की संख्या सीमित कर रोजाना 500 करना, यात्रियों को पैदल यात्रा नहीं करने देना, विशेष परमिट जारी करना आदि शामिल हैं.”